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अंग्रेजों की गुलामी करने वाले भारत को स्वाधीनता दिलवाने में नेहरू-गांधी परिवार का बहुत बड़ा महत्व रहा है. राजनीति के क्षेत्र में आज भी इस परिवार को देश का पहला राजनीतिक परिवार ही कहा जाता है लेकिन इस परिवार से जुड़ा एक सच यह भी है कि जितनी ख्याति नेहरू-गांधी परिवार ने राजनीति में अपने योगदान की वजह से प्राप्त की है उतना ही ये परिवार अपने प्रेम संबंधों को लेकर भी चर्चा में रहा है. सच और झूठ के बीच इस परिवार की साख हमेशा से ही विवादास्पद रही है. मीडिया में नेहरू-गांधी परिवार के निजी संबंधों को लेकर बहुत कुछ कहा गया जिनमें सबसे पहला नामा आता है देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और माउंटबेटन की पत्नी लेडी एडविना का.
आज हम आपको नेहरू-गांधी परिवार के ऐसे ही कुछ निजी संबंधों के बारे में बताएंगे जिनके बारे में वैसे तो सभी जानते हैं लेकिन इनकी हकीकत अभी भी पर्दे के पीछे ही छिपी हुई है.
जवाहरलाल नेहरू और एडविना माउंटबेटन (Jawaharlal Nehru and Edvina Mountbatten): 1980 में रिचर्ड हफ ने माउंटबेटन की जीवनी में पहली बार यह बात स्वीकार की थी कि एडविना और नेहरू (Jawaharlal Nehru and Edvina Mountbatten) के बीच कुछ तो था लेकिन इस बात के बाहर आते ही माउंटबेटन परिवार की ओर से इस संबंध का खंडन कर दिया गया. लेकिन बाद में एडविना की बेटी ने यह स्वीकार कर लिया था कि जवाहरलाल नेहरू और उनकी मां के बीच संबंध तो था लेकिन वो शारीरिक नहीं बल्कि आध्यात्मिक और भावनात्मक था.
इंदिरा गांधी और फिरोज गांधी (Indira Gandhi and Firoz Gandhi): पिता की मर्जी के खिलाफ जाकर इन्दिरा गांधी ने फिरोज गांधी से विवाह किया था. राजनीतिक इतिहासकारों का कहना है कि आजादी की लड़ाई के दौरान जब धरना देते हुए इन्दिरा की मां और जवाहरलाल नेहरू की पत्नी कमला नेहरू बेहोश हो गई थीं तब उन्हें फिरोज गांधी ने ही अस्पताल पहुंचाया और हर मौके पर उनकी देखभाल की. जब इलाज के लिए कमला नेहरू विदेश गई थीं तब भी फिरोज गांधी उनके साथ गए थे. इसी दौरान इन्दिरा गांधी और फिरोज गांधी के बीच प्रेम पनपने लगा और दोनों ने जे.एल. नेहरू की मर्जी के खिलाफ जाकर विवाह कर लिया. वर्ष 1942 में इन्दिरा-फिरोज की शादी हुई और उसी समय भारत छोड़ो आंदोलन शुरू हो गया.
समय बीतने के साथ इन दोनों के संबंधों में दरार आने लगी. अब इसे इन्दिरा गांधी की राजनीतिक महत्वाकांक्षा कह लीजिए या फिर निजी परेशानियां लेकिन 1949 में इन्दिरा गांधी अपने बच्चों को लेकर पिता के घर रहने लगीं.
संजय गांधी और मेनका गांधी(Sanjay Gandhi and Menka Gandhi): जब मेनका 17 साल की थीं तब पहली बार उन्हें संजय गांधी ने एक विज्ञापन में देखा था और एक ही साल में दोनों ने विवाह कर लिया. राजनीतिक इतिहासकारों का कहना है यह वो दौर था जब देश की राजनीति में मेनका और संजय (Sanjay Gandhi and Menka Gandhi) का दबदबा हो गया था. इन्हीं के इशारों पर सरकार चलती थी. लोगों का तो यहां तक कहना है कि आपातकाल के दौरान इन्दिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार की किरकिरी भी संजय गांधी की ही वजह से हुई थी. 23 जून, 1980 को दिल्ली में एक विमान हादसे में संजय गांधी की मौत के बाद अपनी सास इन्दिरा गांधी से नाराज होकर मेनका परिवार की सारी विरासत छोड़ अपने बेटे वरुण के साथ घर छोड़कर चली गईं.
सोनिया गांधी और राजीव गांधी (Sonia Gandhi and Rajiv Gandhi): वर्ष 1965 में कैंब्रिज के एक होटल में राजीव गांधी और सोनिया गांधी की मुलाकात हुई थी और मां की नाराजगी के बावजूद सोनिया और राजीव गांधी (Sonia Gandhi and Rajiv Gandhi) ने वर्ष 1968 में विवाह कर लिया था. राजीव और सोनिया दोनों ही राजनीति से दूर रहना चाहते थे लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. भाई की मौत के बाद मां का साथ देने के लिए राजीव सत्ता में शामिल हुए और इंदिरा गांधी के देहांत के बाद वह पूरी तरह राजनीति में शामिल हो गए. राजनीति में शामिल होने की कीमत उन्हें अपनी जान से हाथ धोकर चुकानी पड़ी. इसके बाद सोनिया ने कांग्रेस की कमान संभाली, जबकि पहले उनके विरोध में ही आवाजें उठ रही थीं. उनके विदेशी मूल का होने की वजह से उनकी स्वीकार्यता पर सवाल उठने लगे लेकिन आज सोनिया गांधी ने अपने दम पर कांग्रेस को यह मुकाम दिलवाया है.
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