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क्या सच में खत्म हो गया नैरोबी का आतंक?

International Affairs
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पिछले चार दिनों से नैरोबी (केन्या) में जो आतंक की छाया बिखरी हुई थी आखिरकार उसका अंत हो गया. इस बेहद खौफनाक और दर्दनाक आतंक की काली छाया ने कई मासूमों की जिंदगियों को प्रभावित किया, किसी से माता-पिता छीन लिए तो किसी के बच्चे आतंक का शिकार बन गए. सैकड़ों लोगों के जीवन में तूफान ला देने वाली इस आतंकी वारदात ने चार दिनों तक नैरोबी को चैन की सांस नहीं लेने दी.


सरकारी आंकड़ों के अनुसार तो इस आतंकी घटना में मारे जाने वालों की संख्या 67 और घायलों की करीब 100 है, इस गिनती में कई भारतीय भी शामिल हैं. इस हमले में कई सुरक्षाकर्मियों की भी मौत हो गई है लेकिन अनाधिकारिक तौर पर इस घटना से हताहत लोगों की गिनती इससे काफी ज्यादा है. ना जाने कितने लोगों की जानें गईं और कितने ही लोग अभी तक जिन्दगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं.


नैरोबी के वेस्टगेट शॉपिंग मॉल में हुए इस आत्मघाती हमले के पीछे पाकिस्तानी मूल के अबू मूसा मोमबासा का हाथ होने की बात सामने आ रही है. इसी बीच हमले की जिम्मेदारी लेने के बाद अल शबाब का ट्विटर अकाउंट बंद कर दिया गया है. इजराइली सुरक्षा बल, ब्रिटिश और अमेरिकी एजेंटों ने मिलकर इस अभियान कों पूरा जिसका संबंध अल कायदा से होने जैसी बातें सामने आ रही हैं.


वर्ष 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमले की तर्ज पर इस बार नैरोबी (केन्या) स्थित वेस्टगेट को निशाना बनाया गया और गैर इस्लामिक लोगों को मौत के घाट उतारा गया. मॉल में बंधक बनाए गए कई लोग अभी भी लापता है इसीलिए मृतकों की संख्या को फिलहाल स्पष्ट रूप से नहीं कहा जा सकता.


अभियान के तहत तीन मंजिला वेस्टगेट मॉल की इमारत को ध्वस्त कर सभी आतंकियों को मार-गिराने और 11 संदिग्ध लोगों को पकड़ने का दावा किया जा रहा है. इस हमले में केन्या के राष्ट्रपति उहुरु केनयात्त के भतीजे और उनकी मंगेतर की भी मौत हुई है. हालांकि राष्ट्रपति केन्यात्त ने एक सार्वजनिक सूचना के तहत यह बात कही है कि इस शर्मनाक आतंकी घटना पर काबू पा लिया गया है लेकिन इस बात की पुष्टि नहीं हो पा रही है कि क्या वाकई सभी आतंकियों को मारकर आतंकवादियों को मार गिराया है या अभी भी नैरोबी में कोई खतरा मंडरा रहा है.


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