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सऊदी अरब न्यायालय ने अली मोहम्मद अल निमर का सिर कलम करके मौत की सजा सुनाई है. अली मोहम्मद अल निमर एक नौजवान लड़का है जिसका दोष बस इतना है कि वह सऊदी अरब के सड़कों पर लोकतंत्र के समर्थन में प्रदर्शन कर रहा था. निमर को 2012 में सऊदी प्रशासन ने विरोध प्रदर्शन को बढ़ावा देने के आरोप में गिरफ्तार किया था तब उसकी उम्र 17 साल थी. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार से लेकर दुनियाभर के देशों ने सऊदी सरकार के इस फैसले पर कड़ी आपत्ति जताई है.
इस बीच मोहम्मद अल निमर की मां नुसरा अल-अहमद ने विश्व के सबसे शक्तिशाली नेता और अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा से गुहार लगाई है कि वे अपने प्रभाव से मेरे बेटे की जान बचाएं. इससे पहले ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरून ने इस मामले हस्तक्षेप किया था.
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जब से सउदी अरब के सुप्रीम कोर्ट ने मोहम्मद अल निमर की क्षमा याचिका खारिज की है तब से मां नुसरा अल-अहमद डरी हुई हैं. अपनी पीड़ा को व्यक्त करते हुए नुसरा कहती हैं ‘अन्य लोगों के लिए एक घंटे में 60 मिनट होते हैं लेकिन मेरे लिए हर एक घंटा 60 बार पीड़ादायक दर्द देता है.
2014 में निमर को सरकार विरोधी गतिविधियों में हिस्सा लेने और आग्नेयास्त्र (फायर-आर्म्स) रखने के आरोप में सूली पर चढ़ाकर मौत की सजा सुनाई गई थी. 23 सितंबर 2015 को निमर की अंतिम याचिका भी खारिज हो गई थी जिसके बाद साथ निमर के सारे विकल्प बंद हो गए थे.
निमर की सजा पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तीखी प्रतिक्रिया हुई है. संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार विशेषज्ञों के एक समूह ने इसे अंतरराष्ट्रीय कानून के लिए प्रतिबद्धता का सरासर उल्लंघन बताया है. इसी घटना पर ऐतराज जताते हुए एनोनिमस नामक हैकर्स एक्टिविस्ट के एक समूह ने 26 सितंबर को सऊदी सरकार की कई वेबसाइट बंद कर दिए हैं. इसके बाद ट्विटर पर हैशटैग (#) OpNimr के साथ निमर को मौत की सज़ा देने के विरोध में प्रतिक्रियाओं की झड़ी लग गई.
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