- 94 Posts
- 5 Comments
रोम के दिल में बसा “त्रेवी फाउंटेन” टूरिस्ट के आकर्षण का मुख्य केंद्र है, जो अपनी नक्काशी और खूबसूरती के लिये विश्व विख्यात है. इस फाउंटेन का अद्भुत नजारा दर्शकों को रोमांचित कर उनका मन मोह लेता है. इसके निर्माण के पीछे अनेक कथाएं प्रचलित हैं. जनरल अग्रिप्पा के आदेश पर रोम के सैनिकों ने एक लड़की की मदद से इस शुद्ध झरने की तलाश की, जिसके पानी को एक नहर “Aqua Virgo” (लड़की के नाम अनुसार) के द्वारा रोम तक लाया गया.
पोप क्लेमेंट XII ने इस फाउंटेन के आर्किटेक्चर को बनाने के लिए एक कांटेस्ट का आयोजन किया, जिसको Alessandro Galilei ने जीता जो सुप्रसिद्ध अस्ट्रोनॉमर गैलीलियो के परिवार का सदस्य थे, परन्तु निर्माण कार्य “साल्वी “को सौंपा गया क्योंकि वह रोम का एक स्थायी नागरिग था . फाउंटेन को पूर्ण रूप से तैयार होने में 32 साल लगे, और इसका निर्माण कार्य पूरा होने से 11 साल पहले ही साल्वी की मृत्यु हो गयी. साल्वी ने अपनी डिजाइन के माध्यम से फाउंटेन की मूल कथा का वर्णन करने का फैसला किया. जिसके अनुसार फाउंटेन के मध्य की स्टेचू समुद्र की प्रतीक है, जिसके दोनों तरफ लगे दो घोड़ों की स्टेचू समुद्र के शांत स्वभाव की प्रतीक है, तो दूसरी समुद्र के बहाव के तीव्र वेग को दर्शाती है.
Read: दौलत के लालच में इन्होंने ने खोद दी थी इनकी कब्र, दिल्ली के इस महल में घूमती है इनकी आत्मा
फाउंटेन में सिक्के डालकर सभी लोग अपनी विश पूरी होने की प्रार्थना करते हैं. इस सन्दर्भ में भी एक कहानी प्रचलित है, कहा जाता है कि रोमन सैनिक युद्ध पर जाते समय रोम की नदी में सिक्के डालकर युद्ध से सुरक्षित अपने घरों पर वापस आने की कामना करते थे. उसी तरह जब आप सिक्के को अपने लेफ्ट हैंड से, राइट शोल्डर की तरफ से इस फाउंटेन में डालते हैं, तो एक और बार वापस रोम आने का मौका आपको मिलता है. फाउंटेन से प्राप्त होने वाले सिक्कों को यूरो में कन्वर्ट करके चैरिटी के माध्यम से जमा धनराशि को गरीब, बेघर और जरूरतमंद लोगों के ऊपर खर्च किया जाता है.
फाउंटेन से प्रतिदिन लगभग 3,500 डॉलर प्राप्त होते हैं. उस हिसाब से यहां हर साल 1,000,000 यूरो सिक्के फेंके जाते हैं. सिक्कों की अत्याधिक संख्या को देखकर,एक चोर ने लगातार 34 साल तक सिक्कों को चुराया, जो 2002 में खुफिया कमरों की मदद से पकड़ा गया. संक्षिप्त में यह फाउंटेन सुख, समृद्धि, धनाढ्यता और गुड लक का मास्टरपीस है. जिसको रोम वासी एक पवित्र स्थल मानकर पूजते हैं …Next
Read more:
कई फिल्मों में दिखने वाले भव्य महल को एकांतवास के लिए बनवाया था इस राजा ने
भूत-प्रेत की वहज से छोड़ा गया था यह गांव, अब पर्यटकों के लिए बना पसंदीदा जगह
‘बाजीराव मस्तानी’ का भूतिया महल : 17वीं सदी में ठहाके, 21वीं सदी में भूतों की आवाज
Read Comments