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चार साल के इस बच्चे को पता भी नहीं है कि ‘लाइफ सेंटेंस’ (उम्र कैद की सजा) किस बला का नाम है और उसके ऊपर चार कत्ल, आठ कत्ल करने का प्रयास और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाकर उम्र कैद की सजा सुना दी गई.
यह मामला मिस्र का है जहां की कोर्ट ने चार साल के अहमद मंसूर अली कुरानी को उस दंगे में शामिल होने के लिए उम्र कैद की सजा सुना दी जब वह 16 महीने का था.
यह मामला 2014 का है जब मिस्र में अपदस्थ राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी के समर्थन में कई लोगों ने हिंसा किया था. इसमें कई लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था. अधिकारियों के मुताबिक इस दंगे में 100 से भी ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया था. ये सभी मुस्लिम ब्रदरहूड के लिए काम करते थे जो मुर्सी की पार्टी है.
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हालांकि जब मिस्र के इस कोर्ट को पता चला कि इन 100 लोगों में उन्होंने चार साल के बच्चे को भी आजीवन कारावास की सजा सुना दी है, तब तक देर हो चुकी थी. कोर्ट को इस गलती के लिए शर्मिंदगी झेलनी पड़ी.
दरअसल यह पूरी घटना एक जैसे नाम की वजह से घटी. कोर्ट 16 साल के एक युवक को हिंसा फैलाने के आरोप में उम्र कैद की सजा सुनाने वाली थी लेकिन जन्म प्रमाणपत्र न देखने की वजह से यह गलती हुई. चार साल के बच्चे के वकील ने जब कोर्ट को जन्म प्रमाणपत्र दिया तब जाकर कोर्ट को भरोसा हुआ.
यह केस इस बात का प्रमाण है कि मिस्र में किस कदर अराजकता फैली है, जहां कोर्ट और पुलिस प्रशासन किसी को सजा देने से पहले जरूरी तथ्यों की तहकीकात भी नहीं करती…Next
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