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दो दशक पहले बुद्ध धर्म के अनुयायियों द्वारा , एक 6 साल के बच्चे ‘गेधुं चोकइ नईमा’ को ‘पंचेन लामा’ (दलाई लामा के बाद दूसरे श्रेष्ठ बौद्ध भिक्षु ) का अवतार मानते हुए, तिब्बत के श्रेष्ठ आध्यात्मिक भिक्षु की उपाधि प्रदान की गयी. उस दिन से वह बालक भिक्षु आज तक गायब हैं . इस घटना को घटित हुए 20 साल बीत चुके हैं , मतलब इस समय वह बालक 26 वर्ष का युवा बन चुका है और चीन आज तक ‘गेधुं नईमा’ के सुरक्षित होने की पुष्टि नहीं कर पा रहा है.
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भूतपूर्व पंचेन लामा ने अनेक बार चीन के नियमों के विरुद्ध आवाज़ उठायी, और 1960 में तिब्बत में पड़े अकाल के हालातों का वर्णन करते हुए एक रिपोर्ट लिखी जिसके परिणामस्वरूप उनको 8 वर्ष से ज्यादा समय तक जेल में रहना पड़ा और 1989 में संदेहास्पद परिस्थियों में उनकी मृत्यु हो गयी. बीजिंग सरकार ने तशिहुंपो मठ के महंत ‘चैडरल रिंपोचे’ को पंचेन लामा के पुनर्जन्म की पुष्टि करने को कहा , और 15 मई 1995 को गेधुं को पंचेन का 11वाँ अवतार घोषित कर दिया गया. चीन की सरकार ने इसको अवैधानिक बताते हुए निरस्त कर दिया और 17 मई 1995 चीन ऑथोरिटीज ने इस बच्चे और इसके परिवार को अगवा कर लिया.
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इसके लिए चीन ने फोर्स भी भेजा था. इस घटना के 6 महीने बाद चीन सरकार ने एक दूसरे तिब्बती बच्चे ‘ग्यलतसेन नोरबू ‘ पंचेन का अवतार का पद प्रदान किया लेकिन चीन के बाहर रहने वाले तिब्बतियों ने इसको स्वीकार नहीं किया. गेधुं के गायब होने की वर्षगांठ पर धर्मशाला (भारत ) की तिब्बत पार्लियामेंट के स्पीकर ‘पैंपा ‘ ने चीन सरकार से उसकी रिहाई की अपील की है. पैंपा के अनुसार ” चीन सरकार ने उनको तिब्बत भाषा सीखने से दूर रखा है, जिससे वह भविष्य में किसी तिब्बती से बातचीत ना कर पाये . बौद्ध अनुयायी आज भी ‘गेधुं ‘ की आज़ादी के लिए प्रदर्शन करते नज़र आते हैं…Next
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